Wednesday, November 19, 2008

What Is Love.....???

Love is any of a number of emotions and experiences related to a sense of strong affection.[1] The word love can refer to a variety of different feelings, states, and attitudes, ranging from generic pleasure ("I loved that meal") to intense interpersonal attraction ("I love my girlfriend"). This diversity of meanings, combined with the complexity of the feelings involved, makes love unusually difficult to consistently define, even compared to other emotional states.
As an abstract concept, love usually refers to a deep,
ineffable feeling of tenderly caring for another person. Even this limited conception of love, however, encompasses a wealth of different feelings, from the passionate desire and intimacy of romantic love to the nonsexual emotional closeness of familial and platonic love[2] to the profound oneness or devotion of religious love.[3] Love in its various forms acts as a major facilitator of interpersonal relationships and, owing to its central psychological importance, is one of the most common themes in the creative arts.

You Can

You can do anything for your Nation because You are a Indian and every Indian is Special.

Saturday, November 15, 2008

सच्चा वीर

एक वृद्ध अमेरिकी व्यक्ति अपने पोते-पोतियों को अपने मन की बात बता रहा था। उसने बच्चों को बताया, उसके मन के अंदर एक संघर्ष चल रहा है। एक पक्ष है-भय, क्रोध, ईष्र्या, शोक, पश्चाताप, लोभ, द्वेष, हीनता, अभिमान, अहंकार आदि का। दूसरा पक्ष है-आनंद, हर्ष, शांति, प्रेम, आशा, विनम्रता, परोपकारिता, सहानुभूति, दानशीलता,उदारता, सत्यता, विश्वास आदि का। संभव है कि ऐसा संघर्ष तुम्हारे अंदर और अन्य व्यक्तियों में भी चल रहा होगा। कुछ क्षण के लिए बच्चे सोच में डूब गए। तब एक बच्चा बोला- दादा जी! अंत में किस पक्ष की जीत होगी? वृद्ध व्यक्ति बोला, हम जिसे जिताना चाहेंगे, यानी जैसे मनोभावोंको हम स्वयं में बढावा देंगे, उसी की जीत होगी।
आत्मबल है सहायक
वास्तव में, दूषित मनोवृत्तियांही कायरता की सूचक हैं, न कि वीरता की। दरअसल, वीर और पराक्रमी व्यक्ति वही होते हैं, जो अत्याचार करने वाले लोगों का विरोध करते हैं और निर्बल की सहायता करते हैं। ऐसे लोगों में उनका आत्मबल ही होता है, जो दूसरे लोगों में व्याप्त बुरी प्रवृत्तियों को समाप्त करने में सहायक होता है। यदि हम भी अपने भीतर परोपकार, दया, दानशीलताजैसे मनोभाव चाहते हैं, तो आत्मबल को विकसित करना अत्यंत आवश्यक है।
सत्य की राह
वीर व्यक्तियों में यह आत्मबल सत्य की राह पर चलने के कारण ही उत्पन्न होता है। और इसीलिए वे हमेशा सत्य का साथ देते हैं। अपने कहे गए सत्य वचनों को पूरा करने के लिए वे अपने जीवन की भी परवाह नहीं करते।
कौन उससे प्रसन्न है अथवा कौन उससे अप्रसन्न, इस बात की चिंता सत्य के पथिक नहीं करते। उनका एक ही उद्देश्य होता है, जरूरतमंदों की मदद करना। इस फेर में यदि कोई व्यक्ति उनसे अप्रसन्न हो जाता है, तो वे इसे नजरअंदाज कर देते हैं।
सरल मार्ग का चुनाव
हम जीवनपर्यन्तइन दो विचारों पर मंथन करते रहते हैं कि कौन कार्य हमारे लिए अच्छा है और कौन बुरा? विवेकी जन वही मार्ग चुनते हैं, जो उनके लिए सरल और शुभ हो। ऐसे लोग अपने लक्ष्य को पाने के लिए अपनी पूरी ऊर्जा इसी तरफ मोड देते हैं। उनकी यह ऊर्जा सकारात्मक होती है। सच तो यह है कि नकारात्मक प्रवृत्तियां, जैसे-भय, क्रोध, ईष्र्या आदि दर्शाने वाले मनोभाव हमें गलत राह की ओर ले जाते हैं, यानी वे विनाश की ओर ले जाने वाले साबित हो सकते हैं। गीता में काम, क्रोध और लोभ को नरक का द्वार बताया गया है। साथ ही, यह भी कहा गया है कि जो लोग आत्मोन्नतिके इच्छुक हैं, उन्हें इन तीनों दुर्गुणोंका त्याग कर देना चाहिए।
सदाचारी बनें
यदि हम चिंता, भय, क्रोध, ईष्र्या, शोषण आदि दुर्गुणोंके दास बन जाएं, तो हमारा जीवन नीरस ही नहीं, भार भी प्रतीत होने लगता है। यहां तक कि व्यक्ति नशे की शरण में जाने, वैरागी बनने, आत्महत्या करने आदि जैसे कुकृत्यों को अंजाम देने लगता है। यदि हम सदाचारी बनें, तो इससे न केवल स्वयं का भला होगा, बल्कि हम आसपास के लोगों की मदद भी करने में समर्थ हो सकते हैं। दूसरी ओर, यदि हमारा व्यवहार दुराचारी व्यक्ति के समान है, तो हम अपना तो सर्वनाश करेंगे ही, साथ ही साथ हमारे आस-पास का वातावरण भी दुखदायी हो जाएगा। सच ही कहा गया है कि जब बुराई की बेल बढती है, तो उसके विषैले फल संसार में अनेक प्रकार के दुष्परिणाम पैदा करते हैं।
जीव को दो प्रकार के दुखों का सामना करना पडता है- बाहरी और भीतरी। भौतिक अभिलाषाओं की पूर्ति न होने से बाहरी दुख उत्पन्न होते हैं और अन्तर्मन में उठने वाली अभिलाषाओं से भीतरी दुखों का सर्जन होता है। हमें अपने अंदर और बाहर उत्पन्न दुखों से संघर्षपूर्ण लडाई लडनी पडती है। सच तो यह है कि हमारा जीवन इस पृथ्वी पर एक संघर्षपूर्ण युद्ध के समान है। और हम इस युद्ध का सामना तभी कर पाएंगे, जब हम निडर और आत्मविश्वासी होंगे। जिस प्रकार मृत्यु एक शाश्वत सत्य है, उसी प्रकार जीवन में संघर्ष भी अवश्यंभावी है।
श्रेष्ठ जन कहते हैं कि जीवन के संघर्षो का मुकाबला सदा जीतने के भाव से करना चाहिए। उनसे बच कर भागने के बजाय उनका दृढतापूर्वक सामना करना चाहिए, तभी सही मार्ग निकल सकता है। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि मन के शत्रुओं, जैसे-काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि को कम नहीं समझना चाहिए। यही हमारे मुख्य शत्रु हैं, जिन्हें हमें हराना है, ताकि हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। इन बुरी ताकतों को हराने के लिए संकुचित हठधर्मिता को छोडना होगा और सतत प्रयास करते रहना होगा, तभी हम सफलता की ओर कदम बढा सकेंगे।
Bhavesh Kumar Pandey

Monday, November 10, 2008

जिंदगी का सफर...



इंसान अपनी जिंदगी में न जाने कितने सफर करता है। कोई कहीं घूमने जाता है तो कोई शादियों में और कोई किसी काम से न जाने कहां-कहां जाने के लिये अक्सर सफर करता ही रहता है। उनमें से कई सफर ऐसे होते हैं जिन्हें इंसान हमेशा याद रखता है, पर इनमें से कुछ सफर ऐसे भी होते हैं जिसे काटना इंसान के लिए मुश्किल हो जाता है। ऐसा ही एक सफर है, जिंदगी का सफर, पर इसे एक विडंबना ही कहेंगे कि आज के दौर का ऐसा कोई भी इंसान नहीं है जो अपनी जिंदगी जैसे मुश्किल सफर को भूलकर उन चंद सफरों को याद रखता है जिसे साथ लेकर चलने से न तो उसका कोई भला है और न ही आगे आनेवाली पीढी का। आज मैं अपने जीवन के ऐसे ही मुश्किल सफर की कहानी बताने जा रहा हूं जो शायद आप लोगों को भी अपनी पिछली जिंदगी के बारे में सोचने पर मजबूर कर दे।

Saturday, November 1, 2008

plz tell your hearts talk now

A BOY HAD CANCER AND HE HAD ONE MONTH TO LIVE.HE LIKED A GIRL WORKING IN A CD SHOP VERY MUCH. BUT HE DID NOTTELL HER ABOUT HIS LUV. EVERYDAY HE WENT TO THE CD SHOP ANDBOUGHT A CD ONLY TO TALK TO HER. AFTER A MONTH HE DIED.WHEN THE GIRL WENT HIS HOME AND ASKED ABOUT HIM,HIS MOM TOLD THAT HE DIED AND TOOK HER TO HIS ROOM...SHE SAW ALL THE CD'S UNOPENED ...THE GIRL CRIED CRIED N FINALLY DIED.DO YOU KNOW Y SHE CRIED ???COZ SHE HAD KEPT HER OWN LUV LETTERS INSIDE THE CD PACKS.SHE ALSO LUVED HIM...Moral of the story: If u love someone...say to him directly don't wait forthe destiny to play the role...If u pass this message to every one in ur list ur love