Tuesday, November 30, 2010

Monday, November 15, 2010

Dunno y.... Na Jane kyu



Ye koi film ka title nahi hai.... ye to bas man ke khayal hain... pata nahi kyu aajkal mujhe lagta hai ki kuchh cheeje hamare is bhautikwadi yug mein bahut teji se fail rahi hain... jinki koi jarurat personnaly mujhe samjh nahi aati ki inake failane ka karan kya hai aur inko badhawa kaun de raha hai jisame sabse pehale number par koi cheej aati hai to wo hai TV ki gandagi kabhi to ye lagta hai ki channel wale paisa kamane ke liye kuchh bhi dikhate rehate hain.. kabhi ye lagta hai ki hum dekhate hain isliye usaki TRP badhati hai isliye in sabko badhawa milta hai .. aur kabhi lagta hai ki ho sakta hai ki galti se ho gaya ho... lekin koi ekdum sahi solution nahi milta... kya kaaran hai in sab ke peechhe samajh nahi aata....


Ek actress jise acting ki bhi A..B..C..D.. nahi maloom jo sirf apne ko baar baar bhartiya nari bhartiya nari kehati hai aur khud iss shabd ki paribhasha nahi janati wo to TV par insaf karne ke liye baithi hai aur apshabdon ka prayog iss had tak hota hai jo National Channel par to bilkul bhi nahi hona chahiye jaha ghar mein sabhi ek sath TV dekhate honge waha to channel switch bhi karne mein log darte honge.... main baat kar raha tha NDTV Imagine ke show Rakhi ka insaaf ki...


Doosare show Comedy Circus jo Sony par aata hai matlab hasya vyang sirf iss tarah ke hote hain waha jo sirf bewkoof type ke log hi dekhate ho... mujhe to lagta hai us show aur channel ke logo ki khud ka hi koi dimaag nahi jo iss tarah ke show chalate hain jaha comedy mein bhi itani volgurity bharate hain.


humein in sab ko rokna hoga baaki phir kabhi aage jari rahega.......................


Tuesday, October 5, 2010

LAXMAN RAO a LEGEND writer hindi

main guzar raha tha hindi bhawan ke samne se to najar padi usi ke bagal mein ek chay ki dukan par jaha ek vyakti jisake baal pake huye the, aur wahi lagbhag 50 saal ka vyakti lag raha tha aur chay bana raha tha usake theek bagal mein ek lakdi ka thela tha jis pa kuchh kitabein thi kitabo ko kholnae par pata chala ki ye kitabein rashtrapai se sammaan pa chuki t apne aap hi kitab ko palatne ka jee kar gaya. kitab ka naam tha RENU. waha aur bhi kayi kitabein thi jaise parampara se judi bharatya rajneeti etc. lekin un kitabo ke pehale panne ke baad rashtrapati se sammaan paate huye jis vyakti ki photo thi wo us chay banane vale ki thi jiska naam hai LAXMAN RAO ek jaane maane hindi ke lekhak. To phir man kar gaya unse milane ka unse baatein huyi bahut guftgu ki maine unse aur pata chala ki kayi media walo bahut pehale kayi baar unke upar articles likhe hain. maine unse ek kitab kaharidi aur us unse unka autographa liya. unhone chay phi pilaya aur album mein unki photos thi wo bhi dikhaya. aur maine wo photos apne mobile click kar li. ye vidambana hi to hai ki hindi ke itane mahaan lekhak jinhone apni kitabe khud cycle par ghum ghum kar bechi hain aur HINDI BHAWAN ke bagal mein hi unki ye sthiti hai ki wo chay bech rahe hain. unki photos maine upload ki hain.......

Saturday, August 14, 2010

जय हो

कुछ लोगो के फोन काल्स मेरे पास आये और उन्होंने मुझसे कहा की मैंने अच्छा लिखा है। सुनकर अच्छा लगा। और उन्होंने ने मुझे बताया की एक फिल्म आई है जिसका नाम है पीपली [लाइव] उसे मुझे देखना चाहिए क्योंकि वो समाज को एक दर्पण दिखने का काम कर रही है। मुझे ये नहीं समझ में आता की जब कोई मुद्दा फिल्म के जरिये मुल्तिप्लेक्स में दिखाया जाता है तब ही लोगो को क्यों दीखता है और वो देखने के बाद भी लोग सिर्फ उसका मजाक बना कर रख देते हैं कहते हैं अरे भाई क्या मस्त मस्त गाली है उसमें जरुर देखो हम तोह हंस हंस के लोटपोट हो गए। मैंने जब उन सब से ये सुना तोह बड़ा दुखी हुवा की लोग असलियत में तोह वैसे भी उस विषय के प्रति चिंतित नहीं और जब फिल्म देखने जाते हैं फिर भी जागरूक नहीं होते मैं आपसे पूछना चाहता हु की क्या हमेशा हर चीज सिर्फ एंजोयमेंट के लिए होनी चाहिए। अगर नहीं तोह अब भी देर नहीं हुयी है जाग जाइए।
अब आज कल के समाचार चैनलों को ही देख लीजिये भाई साहब अगर दिन में कोई मजेदार सीरियल या फिल्म या गाने या कॉमेडी सेरिअल्स नहीं आ रहे हैं तोह बिलकुल मत परेशां होइए हमारे आजकल के समाचार चैनल लगाये और मजा लीजिये। कही लाल गोले पर तीर का निशान मिलेगा कही सास बहु जो सीरियल के किरदार है उनकी घमासान के बारे में कही राजू श्रीवास्तव होंगे तोह कहीं मल्लिका की नयी ड्रेस के बारे में तोह कहीं सलमान के झगरे के बारे में , कहीं आपको राखी के स्वयंबर के बारे में तोह कहीं सुष्मिता ने एक ही ड्रेस को दुबारा पहन लिया उसके बारे में। मजा तोह आपको कूट कूट कर मिलेगा । सारे जादू सभी परग्रही सब आपको मिलेंगे टीवी चंनेल्स पर। पोलिसे और आर्मी तोह आतंकवादियों को खोजती रहती है पर ये लोग तोह साक्षत्कार भी ले आते हैं
मुझे तोह यह समझ में ही नहीं आता की वो मीडिया जो इस लोकतंत्र का एक स्तम्भ है जो एक बहुत बड़ा माध्यम हो सकता है इस विकासशील देश को बनाने में । लेकिन ये हमारा दुर्भाग्य है की इस तरह के घटिया कोटि के समाचार चैनल हमारे देश में फल फूल रहे हैं। कल हम जब स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे तोह आशा करता हु की ये लोग कुछ लाज शर्म रखकर कुछ अच्छा दिखायेंगे।

Friday, August 13, 2010

नमस्ते,
क्षमा चाहता हु की मैं अपना ब्लॉग बहुत
दिनों के बाद अपडेट कर रहा हु लेकिन इसके पीछे विशेष कारन थे और मुझे समय नहीं मिल पा रहा था लेकिन आज मैं फिर आप सबके साथ हु इसकी मुझे तहे दिल से बहुत ख़ुशी है मेरा यहाँ आने के एक और कारन भी हो सकता है की अभी कुछ दिनों पहले मेरे एक पुराने और बहुत ही प्रिय मित्र ने मुझे फ़ोन किया और कहा की मुझे कुछ लिखना चाहिए देखिये लिखना बहुत बड़ी बात नहीं है लेकिन अगर मेरे लिखने से किसी भी एक व्यक्ति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है तोह ये मेरे लिए बहुत ही ख़ुशी की बात होगी मैं ये नहीं कहता की मेरे विचार बहुत ही उच्च हैं या बहुत ही प्रभावशाली हैं मैं बस इतना जनता हु की ये मेरे और सिर्फ मेरे विचार हैं

आज के दो दिन बाद १५ अगस्त है कुछ के लिए ये एक तारीख है कुछ के लिए एक देश का इन्देपेंदेंस डे है कुछ के लिए उनके देश का इन्दिपेंदेंस डे है कुछ के लिए ये स्वतंत्रता दिवस है कुछ के लिए छुट्टी का दिन कुछ के लिए मूवी जाने का दिन है कुछ के लिए मस्ती का दिन है कुछ के लिए यह एक अतुलनीय दिन है सबके लिए ये अलग दिन है और सबके लिए इसका मतलब अलग अलग है मैंने कई लोगो से ये सुना है की इस बार का १५औगुस्त रविवार होने की वजह से उनकी एक छुट्टी बेकार हो गयी बड़ा आश्चर्य होता है मुझे जब कोई इस महान दिन को छुट्टी का दिन कहता है

दूसरा साल है जब मैं १५ अगस्त के दिन दिल्ली में रहूँगा, जब मैं अपने उस छोटे से शहर बस्ती में अपने घर पर टीवी पर १५ अगस्त को देखता था की दिल्ली में झंडा फहराया जा रहा है तोह मुझे लगता था की कितने सौभाग्यशाली लोग हैं वो जो उस झंडे को देखते होंगे और सोचता था की पूरी दिल्ली इस दिन के जश्न्न में सराबोर रहती होगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं है यहाँ तोह बस शौपिंग माल्स में जो विदेशी कंपनिया हैं वो दिखाने केलिये बहार तिरंगे के रंग के बलूंस लगा देते जहा से हमारे देश के नौजवान शौपिंग करके स्वतंत्रता दिवस मानते हैं उन्हें इसका मातब यही मालूम है उसके बाद वो पिज्जा हट या मक दोनाल्ड्स में कुछ खायेंगे तोह ये जश्न पूरा हो जाता है

मैं बहुत ज्यादा नहीं कहना चाहूँगा बस इतना कहना चाहता हु के वो लड़के लड़कियां जो जिंदगी मात्र एक मजा मानते हैं और उसे हमेशा इसी तरह बिता देना चाहते हैं क्योंकि वो नहीं जानते की असल जिंदगी होती क्या है वो नहीं जानते की असल दुःख होता क्या है वो सिर्फ मजे लेने में अपनी जवानी बिताते हैं औरजब उन्हें समझ आता है तोह बहुत देर हो चुकी होती है मैं ये अपील करना चाहता हु की आप सभी लोग जो इस तरह से शौपिंग माल्स में मोविएस में और बहुत ढेर सरे दिखावे में अपना पैसा बर्बाद करते हैं वो कृपया करके जितना वो खर्च करते हैं उसका पांच फ़ीसदी बस पांच फ़ीसदी बचाएँ और उन पैसो को जोड़ने के बाद किसी जरुरत मंद को जिसके पास ये विकल्प नहीं होते की वो आज बुर्गेर खाए या पिज्जा उसे दान नहीं सहायता करें जिंदगी में कुछ तोह अच्छा काम कीजिये भगवान आपका भला करेगा

















आपका - भावेश कुमार पाण्डेय 'विनय'
.३० १३ अगस्त
लक्ष्मीनगर, दिल्ली