कुछ लोगो के फोन काल्स मेरे पास आये और उन्होंने मुझसे कहा की मैंने अच्छा लिखा है। सुनकर अच्छा लगा। और उन्होंने ने मुझे बताया की एक फिल्म आई है जिसका नाम है पीपली [लाइव] उसे मुझे देखना चाहिए क्योंकि वो समाज को एक दर्पण दिखने का काम कर रही है। मुझे ये नहीं समझ में आता की जब कोई मुद्दा फिल्म के जरिये मुल्तिप्लेक्स में दिखाया जाता है तब ही लोगो को क्यों दीखता है और वो देखने के बाद भी लोग सिर्फ उसका मजाक बना कर रख देते हैं कहते हैं अरे भाई क्या मस्त मस्त गाली है उसमें जरुर देखो हम तोह हंस हंस के लोटपोट हो गए। मैंने जब उन सब से ये सुना तोह बड़ा दुखी हुवा की लोग असलियत में तोह वैसे भी उस विषय के प्रति चिंतित नहीं और जब फिल्म देखने जाते हैं फिर भी जागरूक नहीं होते मैं आपसे पूछना चाहता हु की क्या हमेशा हर चीज सिर्फ एंजोयमेंट के लिए होनी चाहिए। अगर नहीं तोह अब भी देर नहीं हुयी है जाग जाइए।
अब आज कल के समाचार चैनलों को ही देख लीजिये भाई साहब अगर दिन में कोई मजेदार सीरियल या फिल्म या गाने या कॉमेडी सेरिअल्स नहीं आ रहे हैं तोह बिलकुल मत परेशां होइए हमारे आजकल के समाचार चैनल लगाये और मजा लीजिये। कही लाल गोले पर तीर का निशान मिलेगा कही सास बहु जो सीरियल के किरदार है उनकी घमासान के बारे में कही राजू श्रीवास्तव होंगे तोह कहीं मल्लिका की नयी ड्रेस के बारे में तोह कहीं सलमान के झगरे के बारे में , कहीं आपको राखी के स्वयंबर के बारे में तोह कहीं सुष्मिता ने एक ही ड्रेस को दुबारा पहन लिया उसके बारे में। मजा तोह आपको कूट कूट कर मिलेगा । सारे जादू सभी परग्रही सब आपको मिलेंगे टीवी चंनेल्स पर। पोलिसे और आर्मी तोह आतंकवादियों को खोजती रहती है पर ये लोग तोह साक्षत्कार भी ले आते हैं।
मुझे तोह यह समझ में ही नहीं आता की वो मीडिया जो इस लोकतंत्र का एक स्तम्भ है जो एक बहुत बड़ा माध्यम हो सकता है इस विकासशील देश को बनाने में । लेकिन ये हमारा दुर्भाग्य है की इस तरह के घटिया कोटि के समाचार चैनल हमारे देश में फल फूल रहे हैं। कल हम जब स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे तोह आशा करता हु की ये लोग कुछ लाज शर्म रखकर कुछ अच्छा दिखायेंगे।