Saturday, August 14, 2010

जय हो

कुछ लोगो के फोन काल्स मेरे पास आये और उन्होंने मुझसे कहा की मैंने अच्छा लिखा है। सुनकर अच्छा लगा। और उन्होंने ने मुझे बताया की एक फिल्म आई है जिसका नाम है पीपली [लाइव] उसे मुझे देखना चाहिए क्योंकि वो समाज को एक दर्पण दिखने का काम कर रही है। मुझे ये नहीं समझ में आता की जब कोई मुद्दा फिल्म के जरिये मुल्तिप्लेक्स में दिखाया जाता है तब ही लोगो को क्यों दीखता है और वो देखने के बाद भी लोग सिर्फ उसका मजाक बना कर रख देते हैं कहते हैं अरे भाई क्या मस्त मस्त गाली है उसमें जरुर देखो हम तोह हंस हंस के लोटपोट हो गए। मैंने जब उन सब से ये सुना तोह बड़ा दुखी हुवा की लोग असलियत में तोह वैसे भी उस विषय के प्रति चिंतित नहीं और जब फिल्म देखने जाते हैं फिर भी जागरूक नहीं होते मैं आपसे पूछना चाहता हु की क्या हमेशा हर चीज सिर्फ एंजोयमेंट के लिए होनी चाहिए। अगर नहीं तोह अब भी देर नहीं हुयी है जाग जाइए।
अब आज कल के समाचार चैनलों को ही देख लीजिये भाई साहब अगर दिन में कोई मजेदार सीरियल या फिल्म या गाने या कॉमेडी सेरिअल्स नहीं आ रहे हैं तोह बिलकुल मत परेशां होइए हमारे आजकल के समाचार चैनल लगाये और मजा लीजिये। कही लाल गोले पर तीर का निशान मिलेगा कही सास बहु जो सीरियल के किरदार है उनकी घमासान के बारे में कही राजू श्रीवास्तव होंगे तोह कहीं मल्लिका की नयी ड्रेस के बारे में तोह कहीं सलमान के झगरे के बारे में , कहीं आपको राखी के स्वयंबर के बारे में तोह कहीं सुष्मिता ने एक ही ड्रेस को दुबारा पहन लिया उसके बारे में। मजा तोह आपको कूट कूट कर मिलेगा । सारे जादू सभी परग्रही सब आपको मिलेंगे टीवी चंनेल्स पर। पोलिसे और आर्मी तोह आतंकवादियों को खोजती रहती है पर ये लोग तोह साक्षत्कार भी ले आते हैं
मुझे तोह यह समझ में ही नहीं आता की वो मीडिया जो इस लोकतंत्र का एक स्तम्भ है जो एक बहुत बड़ा माध्यम हो सकता है इस विकासशील देश को बनाने में । लेकिन ये हमारा दुर्भाग्य है की इस तरह के घटिया कोटि के समाचार चैनल हमारे देश में फल फूल रहे हैं। कल हम जब स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे तोह आशा करता हु की ये लोग कुछ लाज शर्म रखकर कुछ अच्छा दिखायेंगे।

Friday, August 13, 2010

नमस्ते,
क्षमा चाहता हु की मैं अपना ब्लॉग बहुत
दिनों के बाद अपडेट कर रहा हु लेकिन इसके पीछे विशेष कारन थे और मुझे समय नहीं मिल पा रहा था लेकिन आज मैं फिर आप सबके साथ हु इसकी मुझे तहे दिल से बहुत ख़ुशी है मेरा यहाँ आने के एक और कारन भी हो सकता है की अभी कुछ दिनों पहले मेरे एक पुराने और बहुत ही प्रिय मित्र ने मुझे फ़ोन किया और कहा की मुझे कुछ लिखना चाहिए देखिये लिखना बहुत बड़ी बात नहीं है लेकिन अगर मेरे लिखने से किसी भी एक व्यक्ति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है तोह ये मेरे लिए बहुत ही ख़ुशी की बात होगी मैं ये नहीं कहता की मेरे विचार बहुत ही उच्च हैं या बहुत ही प्रभावशाली हैं मैं बस इतना जनता हु की ये मेरे और सिर्फ मेरे विचार हैं

आज के दो दिन बाद १५ अगस्त है कुछ के लिए ये एक तारीख है कुछ के लिए एक देश का इन्देपेंदेंस डे है कुछ के लिए उनके देश का इन्दिपेंदेंस डे है कुछ के लिए ये स्वतंत्रता दिवस है कुछ के लिए छुट्टी का दिन कुछ के लिए मूवी जाने का दिन है कुछ के लिए मस्ती का दिन है कुछ के लिए यह एक अतुलनीय दिन है सबके लिए ये अलग दिन है और सबके लिए इसका मतलब अलग अलग है मैंने कई लोगो से ये सुना है की इस बार का १५औगुस्त रविवार होने की वजह से उनकी एक छुट्टी बेकार हो गयी बड़ा आश्चर्य होता है मुझे जब कोई इस महान दिन को छुट्टी का दिन कहता है

दूसरा साल है जब मैं १५ अगस्त के दिन दिल्ली में रहूँगा, जब मैं अपने उस छोटे से शहर बस्ती में अपने घर पर टीवी पर १५ अगस्त को देखता था की दिल्ली में झंडा फहराया जा रहा है तोह मुझे लगता था की कितने सौभाग्यशाली लोग हैं वो जो उस झंडे को देखते होंगे और सोचता था की पूरी दिल्ली इस दिन के जश्न्न में सराबोर रहती होगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं है यहाँ तोह बस शौपिंग माल्स में जो विदेशी कंपनिया हैं वो दिखाने केलिये बहार तिरंगे के रंग के बलूंस लगा देते जहा से हमारे देश के नौजवान शौपिंग करके स्वतंत्रता दिवस मानते हैं उन्हें इसका मातब यही मालूम है उसके बाद वो पिज्जा हट या मक दोनाल्ड्स में कुछ खायेंगे तोह ये जश्न पूरा हो जाता है

मैं बहुत ज्यादा नहीं कहना चाहूँगा बस इतना कहना चाहता हु के वो लड़के लड़कियां जो जिंदगी मात्र एक मजा मानते हैं और उसे हमेशा इसी तरह बिता देना चाहते हैं क्योंकि वो नहीं जानते की असल जिंदगी होती क्या है वो नहीं जानते की असल दुःख होता क्या है वो सिर्फ मजे लेने में अपनी जवानी बिताते हैं औरजब उन्हें समझ आता है तोह बहुत देर हो चुकी होती है मैं ये अपील करना चाहता हु की आप सभी लोग जो इस तरह से शौपिंग माल्स में मोविएस में और बहुत ढेर सरे दिखावे में अपना पैसा बर्बाद करते हैं वो कृपया करके जितना वो खर्च करते हैं उसका पांच फ़ीसदी बस पांच फ़ीसदी बचाएँ और उन पैसो को जोड़ने के बाद किसी जरुरत मंद को जिसके पास ये विकल्प नहीं होते की वो आज बुर्गेर खाए या पिज्जा उसे दान नहीं सहायता करें जिंदगी में कुछ तोह अच्छा काम कीजिये भगवान आपका भला करेगा

















आपका - भावेश कुमार पाण्डेय 'विनय'
.३० १३ अगस्त
लक्ष्मीनगर, दिल्ली